गुरु नानक जयंती यानी प्रकाश पर्व 30 नवम्बर को पूरे देश में मनाया जाएगा। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। गुरु नानक जयंती सिर्फ सिख समुदाय के बीच तक ही सीमित नहीं है बल्कि गुरु नानक साहिब की शिक्षाओं को और भी धर्म के लोग मानते हैं। ऐसे में अगर आप गुरु पर्व की रौनक गुरुद्वारों में जाकर देखना चाहते हैं, तो हम आपको ऐसे प्रसिद्ध गुरुद्वारे बता रहे हैं, जहां जाकर आप इस पर्व को देखकर इसकी रौनक में शामिल हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कुछ ऐसे ही चुनिंदा गुरुद्वारों के बारे में-
स्वर्ण मंदिर, पंजाब
सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह नें इस गुरद्वारे का निर्माण किया था। यह गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और पहाड़ों और झील के किनारे पर बना है।
शीशगंज गुरुद्वारा, दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित गुरुद्वारे शीशगंज को बघेल सिंह ने सिख धर्म के नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की शहादत की याद में बनवाया था। यह वही स्थान है जहां बादशाह औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के इस्लाम स्वीकार न करने पर उनकी हत्या करवा दी थी।
फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा, पंजाब
फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा साहिबजादा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत की याद में बनवाया गया था। यह गुरुद्वारा वास्तुकला का एक नायाब नमूना है।
यह गुरुद्वारा नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर स्थित है। इस गुरुद्वारे का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। सिखों के आठवें गुरु हरकिशन सिंह के द्वारा यहां पर किए गए चमत्कारों की याद में यह गुरुद्वारा काफी प्रसिद्ध है। सिखों और हिन्दुओं दोनों के लिए यह एक पवित्र स्थान है।
हजूर साहिब गुरुद्वारा महाराष्ट्र के नान्देड नगर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। इसी स्थान पर सन 1708 में गुरु गोविंद सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था। महाराजा रणजीत सिंह ने बाद में इस गुरूद्वारे का निर्माण किया था।
इस स्थान पर गुरु गोविंद सिंह जी ने जीवन के चार साल बिताए थे और दसवें ग्रंथ की रचना की थी।
यह गुरुद्वारा पंजाब के बटिंडा में दक्षिण-पूर्व के तलवंडी सबो गांव में स्थित है। गुरु गोविंद सिंह जी यहां आकर रुके थे और यहां आकर उन्होंने मुगलों का सामना किया था।
श्री पटना साहिब गुरुद्वारा, बिहार
पटना साहिब सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान है। महाराजा रंजीत सिंह ने इस गुरुदारा का निर्माण करवाया था। यह गुरुद्वारा स्थापत्य कला का सूंदर नमूना है।
मणिकरण गुरुद्वारा को लेकर ऐसी मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु नानकदेव ने इसी स्थान पर ध्यान लगाया था। यह पहाड़ियों के बीच बना बहुत सुंदर गुरुद्वारा है।