नए कृषि कानूनों का देश में अलग-अलग हो रहे विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को बिना नाम लिए विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि दशकों तक किसानों के साथ छल करने वाले आज किसानों के बीच भ्रम और आशंका फैला रहे हैं। लेकिन, केन्द्र सरकार के पिछले छह साल के ट्रैक रिकार्ड के आधार पर भ्रम फैलाने वालों का झूठ देश के सामने आ रहा है। पीएम ने देश को आश्वस्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार छल से नहीं, गंगाजल जैसे निर्मल नीयत के साथ किसानों के हित में जुटी है। उन्होंने भरोसा जताया कि हमारा ‘अन्नदाता’ आत्मनिर्भर भारत की अगुवाई करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सफल प्रकल्प ही पर्याप्त नहीं होता। किसानों को बड़े और व्यापक बाजार का लाभ भी मिलना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? बोले, अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेन देन को ठीक समझता है तो उस पर भी इस कानून में कहां कोई रोक है? पीएम ने पिछले छह वर्षों के दौरान दाल, धान और गेहूं खरीद के तुलनात्मक आंकड़ों, पीएम सम्मान निधि और पीएम किसान मानधन योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि हमेशा भ्रम और छल फैलाने वालों की सचाई देश के सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसान को अब नए विकल्प के साथ धोखे से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण भी मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रकल्प, किसान के लिए विकल्प और दोनों साथ-साथ चलें तभी देश का कायाकल्प हो सकता है। प्रधानमंत्री ने काशी, गंगा और माता अन्नपूर्णा की शपथ लेते हुए कहा-‘छल से नहीं, गंगाजल जैसे निर्मल नीयत से किसानों के हित में काम किया जा रहा है। ...अन्नपूर्णा की कृपा से हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की अगुवाई करेगा।’
पहले छोटे किसानों के साथ होता था धोखा: मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है। भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? अगर किसान को ऐसा कोई खरीददार मिल जाए, जो सीधा खेत से फसल उठाए और बेहतर दाम दे, तो क्या किसान को उसकी उपज बेचने की आजादी मिलनी चाहिए या नहीं?
'पहली बार शुरू हुई किसान रेल'
पीएम ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसान रेल शुरू की गई है। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं, बड़े शहरों तक उनकी पहुंच बढ़ रही है। उनकी आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेंटर बनने के कारण अब यहां के किसानों को अब फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में निर्यात हो रही है। सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।