‘बांग्लादेश से घुसपैठ रोकेंगे, राजनीतिक हत्याएँ बंद होंगी’: मेगा रोड शो में अमित शाह ने बंगाल से कहा- BJP को 1 मौका दीजिए

अपने 2 दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार (दिसंबर 20, 2020) को बीरभूम के बोलपुर में 1 किलोमीटर के विशाल रोड शो में हिस्सा लिया, जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं और आम लोगों की भीड़ जुटी। उससे पहले उन्होंने स्थानीय हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की। स्टेडियम रोड से बोलपुर चौराहा तक चले इस रोड शो के दौरान भीड़ ‘जय श्री राम’ का नारा भी लगाती रही।


अमित शाह ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का तेज अभी भी यहाँ पर है और बंगाल के खोए हुए गौरव को पुनर्स्थापित करने के गुरुदेव के सपनों को पूरा करने के लिए भाजपा पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बीरभूम का महत्व इसीलिए भी है क्योंकि यहाँ 2 लोकसभा सीटें हैं और पश्चिम बंगाल के 294 विधानसभा सीटों में से 11 यहाँ पर हैं। ऐसे में यहाँ पार्टी ज्यादा मेहनत कर रही है।

अमित शाह ने इस दौरान कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में इस तरह का रोड शो नहीं देखा है और ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बंगाल का प्यार दिखाने के साथ-साथ दीदी को लेकर उनका विरोध भी दिखाता है। उन्होंने कहा कि ये बदलाव विकास के लिए होगा और न सिर्फ बांग्लादेश से घुसपैठ रोकेंगे, बल्कि राजनीतिक हत्याएँ भी बंद होंगी। उन्होंने बताया कि जहाँ भी भाजपा सत्ता में है, उस राज्य में विकास हुआ है।

शाह ने दावा किया कि बंगाल विकास के रास्ते से भटक चुका है। उन्होंने बंगाल की जनता से कहा कि आपने कॉन्ग्रेस को मौका दिया, कम्युनिस्टों को मौका दिया, TMC को मौका दिया है। साथ ही आग्रह किया कि एक बार भाजपा को मौका दीजिए, हम 5 साल में सोनार बांग्ला बना कर रहेंगे।

2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कॉन्ग्रेस ने बीरभूम के 11 सीटों में से 9 पर जीत दर्ज की थी। अमित शाह के यहाँ रोड शो करने से पार्टी को यहाँ आशा दिख रही है। यहाँ तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद रहे अनुपम हाजरा अब भाजपा में हैं, ऐसे में समीकरण बदल रहे हैं।

अमित शाह ने कहा कि उन्हें आज एक ऐसे महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला, जिन्होंने दुनिया में भारतीय ज्ञान, साहित्य, दर्शन और कला को लोकप्रिय बनाया है। उन्होंने कहा कि गाँधी और बोस, दोनों ही उनसे प्रेरित थे। उन्होंने कहा कि जहाँ एक ओर, रवींद्रनाथ ने विश्व-भारती और शांति निकेतन के माध्यम से भारतीय संस्कृति, कला और दर्शन को बढ़ावा दिया। दूसरी ओर, दुनिया की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को भारतीय परंपराओं से जोड़ा गया है। उन्हें नोबेल से पहचान नहीं मिली, नोबेल को उनसे पहचान मिली।

इससे पहले उन्होंने शांति निकेतन पहुँच गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि दी। वे कोलकाता के विस्टीन होटल से बीरभूम के लिए निकले, जहाँ शांति निकेतन के विश्व भारती विश्वविद्यालय का उन्होंने दौरा किया। इसके बाद वे रवींद्र भवन पहुँचे, जहाँ टैगोर को श्रद्धांजलि देने के बाद संगीत भवन के लिए रवाना हुए। विश्व भारती विश्वविद्यालय में उन्होंने पारम्परिक बंगाली ‘बाउल’ संगीत को सुना और कलाकारों की प्रस्तुति का भी आनंद लिया।