‘हिंदू समाज पूरी तरीके से सड़ चुका है… मुसलमान हो मार देंगे’: एल्गार परिषद में जुटान छोटा, जहर पूरा

इस साल फिर से पुणे में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ और उसमें शर्जील उस्मानी, अरुंधति रॉय और प्रशांत कनौजिया सरीखे प्रोपेगेंडाधारी शामिल हुए। 2017 का एल्गार परिषद ‘अर्बन नक्सल’ और असामाजिक तत्वों की आड़ में हुई भीषण हिंसा का केंद्र बिंदु थी। लेकिन इस साल माहौल अलग था, सब कुछ बेहद गुपचुप तरीके से हुआ। 


कार्यक्रम में इस बार भीड़ भले नहीं मौजूद थी, लेकिन मजाल है कि जहर की मात्रा में रत्ती भर कमी आई हो। सामाजिक-धार्मिक जहर इतना ज़्यादा हो गया कि अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इंटरनेट पर ऐसे तमाम वीडियो मौजूद हैं जिसमें लिबरल जमात के सदस्य विवादित और हिन्दूफोबिक टिप्पणी करते हुए सुने जा सकते हैं। 

शर्जील उस्मानी, जिसे हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था और बाद में अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था, ने कहा, “आज का हिंदू समाज पूरी तरीके से सड़ चुका है। अभी वजह नहीं चाहिए। मुसलमान हो मार देंगे…”। शर्जील ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए कहा कि यूपी प्रशासन ने पिछले एक साल में प्रतिदिन 19 लोगों की हत्या की है। मरने वालों में सभी मुस्लिम या दलित थे। 

उस्मानी ने न्यूज़लौंड्री के लिए तमाम ख़बरें और लेख लिखे हैं लेकिन अपने दावों की पुष्टि करने के लिए साक्ष्य कभी नहीं पेश किए। इतनी बातों के बाद अरुंधति रॉय कैसे पीछे रहतीं, उन्होंने एनडीए सरकार को चुनने वाले भारतीय मतदाताओं की तुलना 6 जनवरी को कैपिटल हिल में उपद्रव करने वाली भीड़ से की।  

इसके बाद अरुंधति रॉय ने हिन्दुओं का अपमान करने के लिए ‘गौमूत्र’ पर छिछला कटाक्ष किया, वही कटाक्ष जो पुलावामा हमले के आतंकवादियों ने किया था।   

तमाम जहरीले वामपंथ ग्रसित चेहरों के बाद प्रशांत कनौजिया ने भाषण दिया/जहर उगला। उसने कहा, “जब तक ‘कश्मीरी भाइयों’ को न्याय नहीं मिलता, अख़लाक और पहलू खान को न्याय नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जब तक 3 कृषि क़ानून वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक आंदोलन चलेगा।” 

इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए नफ़रत की नुमाइश करते हुए कनौजिया ने कहा कि जब तक वो RSS को जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं देते हैं तब उनका आंदोलन जारी रहेगा। अंत में उसने कहा कि ‘दबाव’ झेलने से बेहतर है कि दलित ‘सड़कों पर लड़ते हुए मर जाएँ’। 

यह आयोजन ऐसे संवेदनशील वक्त में किया गया जब देश की राजधानी में प्रदर्शननुमा उपद्रव जारी है और खालिस्तानी भीड़ ने गणतंत्र दिवस जैसे अहम मौके पर लाल किले पर सिख झंडा फहराया था। इस कार्यक्रम में महज़ 500 लोग शामिल हुए थे और सुरक्षा का पर्याप्त प्रबंध किया गया था।