पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात, कई शहरों में तोड़फोड़-आगजनी; इमरान और आर्मी के नाक में दम

कट्टरपंथी इस्लामवादी पार्टी के नेता की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हालात ज्याद खराब हो गए हैं। देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन के बाद पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने देश के सबसे बड़े शहर कराची सहित कई शहरों की सड़कों को ब्लॉक कर रखा है। दरअसल, फ्रांस में ईशनिंदा वाले कुछ प्रकाशनों को लेकर फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे थे, इस बीच सरकार ने प्रदर्शन करने वाली कट्टरपंथी इस्लामी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगा दिया और मुखिया को जेल भेज दिया।


 

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक पाकिस्तान में इस्लामवादी पार्टी के नेता की गिरफ्तारी के बाद बवाल और बढ़ गया। लाहौर, रावलपिंडी समेत कई शहरों में आगजनी होने लगी। सोशल मीडिया पर चल रही खबरों पर वहीं के एक यूजर ने कहा कि पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। पाकिस्तान में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। इमरान सरकार और आर्मी के खिलाफ लाखों की संख्या में लोग सड़क पर उतरे हुए हैं।

बुधवार को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शेख राशिद अहमद ने घोषणा की थी कि सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के बाद प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए और हिंसक प्रदर्शन पर उतर आए।

सोमवार को हुई टीएलपी प्रमुख की गिरफ्तारी
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी गुलाम मोहम्मद डोगर ने बताया कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के प्रमुख साद रिज़वी को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। रिज़वी ने धमकी दी थी कि अगर सरकार पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किए जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को निष्कासित नहीं करती है तो प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और सोमवार को हिंसा शुरू हो गई। 

इमरान सरकार और टीएलपी के बीच हुआ था समझौता
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार ने फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने की सहमति देते हुए पिछले साल नवंबर में टीएलपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता उस समय हुआ था जब टीएलपी ने पिछले साल कार्टूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। हस्ताक्षर के बाद विरोध प्रदर्शन थम गया था लेकिन फरवरी आते-आते जब समझौते पर अमल नहीं हुआ तो टीएलपी एक बार फिर सड़क पर उतर गई।