कुछ दिनों पहले चंडीगढ़ में एक लड़की का गैंगरेप हुआ. इस घटना पर भाजपा सांसद
और अभिनेत्री किरण खेर ने कहा कि जब लड़की ने देखा था कि ऑटो में तीन आदमी
बैठे हैं, तो उसे ऑटो में बैठना ही नहीं चाहिए था. अब फिर राजधानी दिल्ली
से छेड़छाड़ की एक ख़बर आई है.
कनॉट प्लेस के अपने दफ़्तर की छत पर टहल रही महिला के साथ एक व्यक्ति ने
छेड़छाड़ की, ज़बरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर हस्तमैथुन कराने लगा, महिला ने शोर
मचाया, तो वो आदमी वहां से भाग गया. राजधानी के पॉश और व्यस्त इलाके में
लगे CCTV कैमरे की फ़ुटेज साफ़ न होने के कारण पुलिस आरोपी को अब तक नहीं पकड़
पायी है.
इस तरह की घटना का दिन दहाड़े कनॉट प्लेस जैसे इलाके में
होना साफ़ करता है कि महिलाएं दफ़्तर में, सड़क पर, यहां तक कि अपने घर में भी
सुरक्षित नहीं हैं. इसके बावजूद लोग पीड़िता को नसीहत देना या उसे ग़लत
ठहराना नहीं छोड़ते.
उनसे कहा जाता है कि रात को सड़क पर न निकलें,
पूरे कपड़े पहनें, जहां मर्द हैं उस ऑटो में न बैठें और जाने क्या-क्या. इन
नसीहतों पर बहुत सी महिलाएं अमल भी करती हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके साथ
इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.
सोचने
वाली बात ये है कि अगर वाकयी ज़्यादा कपड़े पहनने से महिलाओं को सुरक्षा मिल
जाती, तो बुर्क़ा पहनने वाली औरतों के साथ कभी रेप नहीं होता. पब्लिक
ट्रांसपोर्ट के ज़्यादातर ड्राइवर पुरुष होते हैं, ऐसी सुविधाएं कहां
ढूंढें, जहां पुरुष नहीं होंगे? रात में बाहर निकलने से ही महिलाएं
असुरक्षित होतीं, तो दिन-दहाड़े इस तरह की घिनौनी हरकत न होती. ये वो देश
है, जहां मरने के बाद एक औरत की लाश को भी लोग हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल
कर लेते हैं, जहां 2 महीने की बच्ची का रेप कर दिया जाता है, जहां जानवर तक
इस हैवानियत से नहीं बच पाते.
समस्या मर्दों के महिलाओं के आस-पास होने से नहीं है, समस्या कुछ मर्दों
की ग़लत मानसिकता से है, जिसके कारण पूरी कौम को बदनाम होना पड़ता है. ये मुमकिन नहीं है कि मर्दों और औरतों के लिए अलग-अलग दुनियाएं बना दी जायें,
हमें एक ही दुनिया में रहना है. इस दुनिया को एक-दूसरे के लिए ख़ूबसूरत
बनाने की कोशिश करनी चाहिए. कुछ पुरुष ऐसा न कर के महिलाओं के लिए इस
दुनिया को असुरक्षित बना रहे हैं और पूरे समाज में कुंठा भर रहे हैं.
हमारी लड़ाई ग़लत सोच से होनी चाहिए, पुरुष या महिलाओं से नहीं.